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boond boond lafz bandh rahe hai

boond boond lafz bandh rahe hai

5/11/08

बेनाम नzम

संजीदा से लम्हे और मिसरी सी यादें
आँसू सा कोहरा और तन्हाई सी वादी
छुप गयी रात वही...
चाँद के पीछे पीछे...

जुस्तजु किसी साये की..
बस एक ख्वाहिश ही रही...
भटकते है इस वादी में
मिसरी को लिए ...लम्हो को थामे
की अब कोई ख्वाहिश ना रही..
जो छुप गयी है रात..
चाँद के पीछे पीछे...

14 comments:

Piyush k Mishra said...

bahut uljhi hui kavita lagti hai....

shabdon ki bharmaar aur bhaavon ki kami...

अमिताभ said...

मिसरी को लिए ...लम्हो को थामे
की अब कोई ख्वाहिश ना रही..
जो छुप गयी है रात..
चाँद के पीछे पीछे...

very nice !!

डॉ .अनुराग said...

बेहद खूबसूरत नज्म ...पुरानी सई वापस आयी.... ऐसा लगा.....

Shishir Shah said...

khubsurat...'tanhai ki mehfil' wali baat hain... likhte rahiye...

pallavi trivedi said...

bahut khoobsurat ....

Pramod Kumar Kush 'tanha' said...

संजीदा से लम्हे और मिसरी सी यादें
आँसू सा कोहरा और तन्हाई सी वादी

wah ! kya baat hai ! badhaayee.
Keep writing ...

Puja Upadhyay said...

khoobsoorat nazm hai.
by the way, are you from,PWC? naam aur chehra pahchana sa lagta hai.

Chhiyaishi said...

ज़्यादा तो नही कह सकती पर आप के शब्द बून्दो की तरह मन को लगे और उनकी गेहरैयाँ बहुत मेहसूस होती हैं.

श्रद्धा जैन said...

जुस्तजु किसी साये की..
बस एक ख्वाहिश ही रही...
भटकते है इस वादी में
मिसरी को लिए ...लम्हो को थामे
की अब कोई ख्वाहिश ना रही..
जो छुप गयी है रात..
चाँद के पीछे पीछे...


wah beta aap to hamesha kamaal karti ho
misri ko liye lamho ko thaame
kaaml

नीला आसमान said...

Wonderful!!
ye likhne ka style muje bahut pasand hey!!
bahut accha!!

विक्रांत बेशर्मा said...

बहुत उम्दा नज़्म है.

सुशील छौक्कर said...

आज पहली बार आपके ब्लोग आया तो बूंदे से भीग गया। बहुत खूबसूरत लिखा है। शब्दों ने जादू सा कर दिया हैं।
संजीदा से लम्हे और मिसरी सी यादें
आँसू सा कोहरा और तन्हाई सी वादी
छुप गयी रात वही...
चाँद के पीछे पीछे...जुस्तजु किसी साये की..

ilesh said...

भटकते है इस वादी में
मिसरी को लिए ...लम्हो को थामे
की अब कोई ख्वाहिश ना रही..
जो छुप गयी है रात..
चाँद के पीछे पीछे...

badhiya.....

travel30 said...

b'ful :-)